इंटरनेट डॉट ऑर्ग- तमाम ऑनलाइन बिज़नेस आर्गेनाइजेशन का कम्युनिटी ग्रुप हैं जो हर माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के पास पहुँचना चाहते हैं और उन्हें अपनी सेवाएं देना चाहते हैं

पॉजिटिव साइड:  इंटरनेट डॉट ऑर्ग, फेसबूक का एक इंटरनेट कम्युनिटी ग्रुप है जिसमे वो तमाम बड़े और छोटे ऑनलाइन संस्थाओं से मिल के उन्हें एक अगल सर्विस प्लेटफॉर्म से एक्सेस करने का माध्यम बना 46928060.cmsरहा है ये बिलकुल वैसा ही है जैसे हम अपने मोबाइल से SMS या यूटिलिटी(ड्राइव-इन) सेवाओं जैसे ट्रैन इन्कवारी, PNR संबंधी जानकारी का इस्तेमाल करते हैं
इस व्यवस्था का तत्काल फायदा उन मोबाइल ग्राहकों को मिलेगा जहाँ 2G या 3G नेट/डेटा सर्विसेज उपलब्ध नहीं है या वो इंटरनेट डेटा पैक नहीं डला पाते है, अगर ऐसे में कोई टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर इसे अपने नेटवर्क के जरिये उपलब्ध करता है तो इसका सीधा लाभ उसके ग्राहकों को मिल सकता है

पेड़ सर्विस या मुफ़्त: दुनियाँ में कुछ भी मुफ्त नहीं होता, भले ही शुरुआती दिनों में ग्राहक की जेब ढ़ीली न हो पर एक समय जब मोबाइल नेटवर्क पे लोड पड़ने लगेगा तो निश्चित ही सेवा शुल्क भी वसूला जायेगा।  इसका एक कारण यह भी है की हिंदुस्तान में मोबाइल यूजर्स और मोबाइल इंटरनेट यूजर्स के आंकड़ों में एक बहुत बड़ा अंतर है

इंटरनेट डॉट ऑर्ग vs  नेट नूट्रलिटी :

इंटरनेट डॉट ऑर्ग और रिलायंस “फ़्रीनेट” से पहले ये सेवा एयरटेल ज़ीरो के नाम से चालू हुयी थी जिसमे एयरटेल अपने नेटवर्क पे फ़ेसबूक और व्हाट्सऐप जैसे एप्लीकेशन को ज़ीरो डेटा ( बिना इंटरनेट डेटा पैक) के माध्यम से अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराया है, इसपे विवाद तब बड़ा हुआ जब फिल्पकार्ट नाम की एक ई-कॉमर्स साइट ने फ्रंट एक्सेस ओन “एयरटेल जीरो” पे आने की बात की और ये खबर नेट नूट्रलिटी की आवाज़ बन के निकली।

देश में नेट नूट्रलिटी की माँग करने वालों लोगों का मानना है अगर इस प्रकार से कुछ खास चुनिंदा कम्पनियाँ को अगर ये मोबाइल नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर्स “ओवर द टॉप” (over-the-top), “फ्रंट एक्सेस”, “इंटरनेट डॉट ऑर्ग ” या “एयरटेल जीरो” सर्विस के जरिये परोसना शुरू करेंगे तो इंटरनेट के बड़े बाज़ार पे सिर्फ़ उन कुछ चुनिंदा कंपनियों का ही अधिकार हो जायेगा जो इन मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर्स को फ्रंट एक्सेस के नाम पे मोटा पैसा खर्चा कर सकती हों, और जो  छोटी इंटरनेट ओर्गनिज़ेशन्स हैं वो इस सर्विसेज को अफ़्फोर्ड न कर पाने के कारण धीरे धीरे दम तोड़ देंगी। क्योंकि भी किसी भी ऑनलाइन बिज़नेस के सक्सेस को मापने का पैमान उसकी वेब ट्रैफिक है और जाहिर है अगर हज़ारों ऑनलाइन कम्पनियों में से अगर कुछ को फ्रंट एक्सेस मिलने लगे तो उनके वेब ट्रैफिक रेटिंग में भी जबरदस्त इजाफ़ा होगा, जिसका सीधा लाभ वो अपने बड़े पयेर्स के विज्ञापनों को ऊँचे दाम पे दिखा के वसूलेंगी।

रिटर्न ओन इन्वेस्टमेंट : इंटरनेट डॉट ऑर्ग का एक मात्र उद्देश कुछ खास और चुनिंदा ई-कॉमर्स कम्पनीज या नॉन प्रॉफिटेबल सस्थाओं को सीधे उन ग्राहकों तक पहुँचाना है जो मोबाइल का तो इस्तेमाल कर रहे हैं पर किसी भी प्रकार का डेटा या इंटरनेट पैक को नहीं इस्तेमाल नहीं कर पाते। उनतक पहुँचने के लिए ये कंपनिया अपने खर्चे पे मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर्स के जरिये पहुँच रही हैं. ऐसे में फ़्रीनेट उपभोक्ता उन साईट्स को एक्सेस करके उनके वेब-ट्रैफ़िक में कई गुने का इजाफ़ा कर के उन्हे बाकि कंपनियों से आगे पहुँचा देगा और बढ़ी हुयी वेब ट्रैफिक का सीधा फ़ायदा इंटरनेट डॉट ऑर्ग के कम्युनिटी में आने वाली कम्पनियाँ अपने विज्ञापन या सर्विसेस के रेट्स में कई गुने का इजाफ़ा कर के पहुंचाएंगी।

निगेटिव : इंटरनेट मार्किट में सिर्फ उन्ही कम्पनीज की मोनोपली होगी जो इंटरनेट डॉट ऑर्ग के अंतर्गत होगी। मनमाने दामों पे विज्ञापन बेचे जायेंगे और महंगे विज्ञापन देने वाली कम्पनीज या सर्विस प्रोवाइडर्स का ही विज्ञापनों पे एकाधिकार होगा। मार्किट प्रतिस्पर्धा सिर्फ बड़े प्लयेर्स के लिए होगा जैसे की आज टीवी पे एकाधिकार है. इंटरनेट के जरिये कमाने वाली छोटी कम्पनीज का सफाया या बड़ी कम्पनियोँ में विलय तक हो सकता है.
– अनूप मिश्रा
(Anoop Mishra is one of most experienced Social media & Digital Marketing Consultant in India)
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