helping

‡§Ü‡§ú ‡§•‡•㇕ú‡§æ ‡§∏‡•㇧∂‡§≤ ‡§Æ‡§ø‡§°‡§ø‡§Ø‡§æ ‡§∏‡•á ‡§π‡§ü ‡§ï‡•á ‡§≤‡§ø‡§ñ ‡§∞‡§π‡§æ ‡§π‡•LJ§Å ‡§Æ‡•ҧù‡•á ‡§•‡•㇕ú‡§æ ‡§Ö‡§ú‡•槨 ‡§≤‡§ó ‡§∞‡§π‡§æ ‡§π‡•à ‡§™‡§∞ ‡§è‡§ï ‡§∏‡§µ‡§æ‡§≤ ‡§Æ‡•ҧù‡•á ‡§Ö‡§Ç‡§¶‡§∞ ‡§π‡•Ä ‡§Ö‡§®‡•燧¶‡§∞ ‡§¨‡•ᇧö‡•à‡§® ‡§ï‡§ø‡§Ø‡•á ‡§π‡•Ň§è ‡§π‡•à ‡§á‡§∏‡§≤‡§ø‡§è ‡§≤‡§ø‡§ñ ‡§∞‡§π‡§æ ‡§π‡•LJ§Å ‡§ï‡•燧؇•㇧LJ§ï‡•Ä ‡§Ü‡§ú ‡§è‡§ï ‡§¨‡•⇧≤‡•ć§µ‡•ҧ° ‡§Ö‡§¶‡§æ‡§ï‡§æ‡§∞‡§æ ‡§ï‡§æ ‡§è‡§ï ‡§µ‡§ø‡§°‡§ø‡§ì ‡§Ø‡•LJ§ü‡•LJ§¨ ‡§™‡•á ‡§µ‡§æ‡§Ø‡§∞‡§≤ ‡§π‡•㇧§‡•á ‡§¶‡•ᇧñ‡§æ ‡§ú‡§ø‡§∏‡§ï‡§æ ‡§â‡§¶‡•燧¶‡•ᇧ∂‡•ç‡§Ø “‡§Æ‡§π‡§ø‡§≤‡§æ ‡§∏‡§∂‡§ï‡•燧§‡§ø‡§ï‡§∞‡§£” ‡§ï‡•ã ‡§¨‡•ù‡§æ‡§µ‡§æ ‡§¶‡•ᇧ®‡§æ ‡§•‡§æ. ‡§¨‡•ú‡§æ ‡§π‡•Ä ‡§®‡§æ‡§ü‡§ï‡•ć§Ø ‡§§‡§∞‡•ć§ï‡•á ‡§∏‡•á ‡§Æ‡§π‡§ø‡§≤‡§æ‡§ì‡§Ç ‡§ï‡•Ä ‡§Æ‡§æ‡§®‡§∏‡§ø‡§ï ‡§î‡§∞ ‡§µ‡•à‡§ö‡§æ‡§∞‡§ø‡§ï ‡§Ü‡•õ‡§æ‡§¶‡•Ä ‡§π‡•ã ‡§¶‡§ø‡§ñ‡§æ‡§Ø‡§æ ‡§ó‡§Ø‡§æ ‡§π‡•à ‡§™‡§∞ ‡§Æ‡•ҧù‡•á ‡§∏‡§Æ‡§ù ‡§Æ‡•á‡§Ç ‡§®‡§π‡•ć§Ç¬†‡§Ü‡§Ø‡§æ ‡§ï‡•Ä ‡§∏‡§∂‡§ï‡•燧§‡§ø‡§ï‡§∞‡§£ ‡§ï‡§æ ‡§∂‡§æ‡§¨‡•燧¶‡§ø‡§ï ‡§Ö‡§∞‡•燧•¬† “‡§Ü‡•õ‡§æ‡§¶‡•Ä” ‡§ï‡§¨ ‡§∏‡•á ‡§π‡•ҧÜ.
सशक्तिकरण का मतलब उनको स्वालंबी बनाना हो सकता है, आत्मनिर्भर बनाना हो सकता है जिससे वो देश, समाज व् परिवार के संपूर्ण विकास में अपना भी योगदान दे सकें।
पर यहाँ तो महिला सशक्तिकरण का अर्थ पुरुषों को नीचा दिखाना, परिवारिक और सामाजिक बंधनो को तोड़ के आगे निकलना और पुरुषों से अलग एक नयी राह पे चलना है !!! और यहीं नहीं हर जगह बस महिलाओं को सशक्तिकरण के नाम उनको पुरुषों के ख़िलाफ़ बरगलाने की कोशिश की जाती है। पुरषों के खिलाफ जहर और नफरत भरने के साथ उनको नीचा दिखाने के अलावा महिला सशक्तिकरण करने वालों को कुछ सकारात्मक नहीं सूझता क्या?
सोचिये कभी पुरुषों ने भी महिला सशक्तिकरण से सीख लेते हुए समाज और परिवार की परवाह किये बगैर एक अलग राह थाम ली तो क्या होगा ?? उन बच्चों का क्या होगा जो अपने माँ पिता पे आश्रित हैं उनका भविष्य कौन बनाएगा ?? ये इस तरह के प्रोपोगंडा करनेवाले?? जिनका एक मात्र मकसद अपने फायदे की रोटियाँ सेकने से है या ये एक्टर और एक्ट्रेस जिनका ईमान धर्म इमोशन प्यार रिश्ते नाते सब पैसा से शुरू होती है और शोहरत पे खत्म होती है
मेरा महिलाओं से सविनय निवेदन है की आप को इन झूठी सहानभूति की अवश्यकता नहीं है आज भी देश में देवी की मूर्ति की पूजा घर घर में होती है, एक माँ के पैरों में जहाँन तलाशा जाता है एक बहन के लिए एक भाई अपनी जान तक दे देता है एक पत्नी और परिवार की हर ख़ुशी के लिए उसका पति दिन रात मेहनत करता है. अगर आप को महिला सशक्तिकरण की जरुरत है तो उनका हाथ बटाने के लिए हैं अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए हैं अपने देश समाज और परिवार को मजबूत करने के लिए है. आप गुलाम नहीं आज़ाद है ये 21ववीं सदी का भारत है जहाँ आप पुरुषों के अधीन नहीं उनके साथ हैं.